एनयूजे समाचार, नई दिल्ली। नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) की राष्ट्रीय कार्यसमिति की दो दिनी बैठक बीकानेर राजस्थान में संपन्न हुई। बैठक का आयोजन जार की बीकानेर इकाई द्वारा किया गया था। बैठक में केन्द्रीय मंत्री व स्थानीय सांसद अर्जुनराम मेघवाल का संदेश सुनाया गया जबकि स्थानीय विधायक सर्व श्री विश्वनाथ मेघवाल, जेठानंद व्यास, पूर्व मंत्री भंवर सिंह भाटी महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित सहित स्थानीय वरिष्ठ पत्रकार भी शामिल हुए। दो दर्जन पुराने पत्रकारों का उनके योगदान पर उन्हें सम्मानीत किया गया। एनयूजे - आई के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेश शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि इस समय लगता है मीडिया को अपनी शक्ति का अहसास नहीं है वह हनुमान की भांति अपने बल और विवेक को भूल गया है। हमारा संगठन जामवंत बनकर समूचे देश में अलख जगायेगा और मीडिया को उसकी शक्ति की याद दिलायेगा। लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका की अनेदखी अच्छे संकेत नहीं हैं। महासचिव त्रियुगनारायण तिवारी ने इस मौके पर कहा कि संगठन में सकि्रयता और समर्पण की भावना बेहद जरूरी है। सभी अतिथियों ने पत्रकारों को अपने-अपने हिसाब से सीख देने का काम किया।
नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक 26 अप्रैल को शुरू हुई और 27 को इसका समापन किया गया। समापन के समय केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का संदेश सुनाया गया। वे इस आयोजन के मुख्य अतिथि थे लेकिन संगठन ने अम्बेडकर जयंति के आयोजन के लिए उन्हें पटना भेज दिया था। वरिष्ठ विधायक विश्वनाथ मेघवाल, जेठानंद व्यास, पूर्व मंत्री भंवर सिंह भाटी, महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित ने इस आयोजन को संबोधित किया। बीकानेर के पुराने पत्रकारों को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
इस बैठक के अवसर पर एनयूजे आई अध्यक्ष सुरेश शर्मा ने कहा कि आज पत्रकारिता को कमजोर दिखाने का काम हो रहा है। जबकि पत्रकारिता लोकतंत्र के लिए सबसे प्रमुख स्तंभ की भूमिका में रहा है। इसकी भूमिका से लोकतंत्र की मान्यता को खतरा हो जायेगा। उन्होंने कहा कि आज लगता है कि मीडिया उस हनुमान जी की स्थिति में है जिन्हें श्राप के कारण अपनी शक्ति का भान नहीं रहा था। बाद में जामवंत ने उन्हें शक्ति का अहसास कराया और उनकी शक्ति फिर से लौटी। अध्यक्ष शर्मा ने कहा कि एनयूजे आई जामवंत की भूमिका निभाकर हनुमान रूपी मीडिया को उसकी शक्ति का अहसास करोयगा। उसे जागृत किया जायेगा। ऐसा अभियान समूचे देश में चलेगा। एनयूजे आई अध्यक्ष ने कहा कि आज देश की पत्रकारिता नेता-मंत्रियों के लॉन में आकर ठहर गई है उसे फिर से जनता की ओर ले जाया जायेगा। पत्रकारिता को चौथे स्तंभ की मान्यता प्रभावी रूप से तभी होगी जब उसका जनसरोकार कायम रहेगा।
एनयूजे आई महासचिव त्रियुग नारायण तिवारी ने इस अवसर पर कहा कि संगठन को और सकि्रय किया जायेगा। सभी प्रदेश इकाईयों का संगठन के प्रति समर्पण होगा तभी हम पत्रकारों के हितों की रक्षा कर पायेंगे। उन्होंने कहा कि जल्द ही सभी पदाधिकारियों को राज्यों के प्रभार वितरित किये जायेंगे। इससे काम की सुगमता होगी और संगठन अधिक सकि्रय और ताकतवर होगा। तिवारी का कहना था कि आज देश के सभी पत्रकार संगठनों में एनयूजे-आई ही ऐसा संगठन है जो पत्रकारों के विकास और विस्तार की बात सोचता है। उन्होंने बीकानेर में आयोजकों के प्रति आभार भी माना। एनयूजे आई उपाध्यक्ष सर्वश्री उमेश चतुर्वेदी, उदय जोशी और बड़े प्रभाकर ने भी बैठक के समय-समय पर संबोधित किया। इसी प्रकार से अनेक अवसरों पर अपने अमूल्य सुझाव सचिव सर्वश्री संजीव कुमार, भवानी जोशी, बाबूल सिंह और एम चन्द्रमोहन व महिला प्रकोष्ठ की संयोजक श्रीमती आभा निगम ने भी दिये। इस प्रकार एक महत्वपूर्ण और संदेश देने वाली बैठक आयोजित हुई।
बैठक की शुरूआत ही सबसे महत्वपूर्ण और यागदार विषय से हुई। 7-8 मार्च 1981 को आगरा में हुई एनयूजे आई की बैठक में एक डिक्लरेशन स्वीकार किया गया था। जिसे आगरा डिक्लरेशन के नाम से जाना गया था। समय बीतने के बाद उसे फिर से स्वीकार किया गया। उसमें उल्लेखित िबन्दुओं का वाचन हुआ और सर्वानुमति से उसे स्वीकार किया गया। सर्वेश कुमार सिंह, राजीव शुक्ला, कैलाश नायक, इन्द्रवेश, महेन्द्र दुबे, रवीन्द्र नाथ कौशिक, बलबीर ठाकुर, शशिभूषण कुमार, संभाद्री कृष्णा प्रसाद, उदय खंडई व के के मिश्रा सहित अन्य सदस्यों ने अपने विचार रखे और इसे स्वीकार करने का आग्रह किया। इसी के साथ बीकानेर प्रस्ताव के रूप में कुछ अन्य विषयों को भी साथ में प्रस्ताव के रूप में स्वीकार किया गया। जिसमें तय किया गया कि मीडिया के प्रतिस्पर्धा वाले दौर में नेतृत्व तैयार किया जायेगा। यह नेतृत्व आपसी समन्वय तैयार करेगा। आत्म विनिमयन को ताकत प्रदान की जायेगी। मीडिया को नेताओं की चुहलबाजी से बाहर निकाल कर सत्य और तथ्य आधारित जन सरोकार की पत्रकारिता की ओर ले जाया जायेगा। ट्रेड यूनियन और प्रेस क्लब जैसी संस्थाओं को जवाबदेह बनाने की दिशा में समन्वय बनाने का काम किया जायेगा।
अन्य प्रस्ताव में जीएसटी काउंसिल से मांग की गई है कि मीडिया पर परम्परागत टेक्स के स्थान पर आन्तरिक रूप से विज्ञापन पर लगाये जा रहे कराधान को वापस लिया जाये। छोटे एवं मझौले समाचार पत्रों को सभी प्रकार की कर राहत दी जाये। यह प्रस्ताव भी सर्वानुमति से स्वीकार किया गया। मीडिया जगत को इस समय डीएवीपी और आरएनआई की विभिन्न नई व्यवस्थाओं और एडवाइजरी से परेशानी और संकट की स्थिति पैदा हो रही है। जिनका उल्लेख प्रस्ताव में किया गया है। प्रतिमाह पीआईबी में समाचार पत्रों का बंडल जमा कराने का कोई औचित्य नहीं है। ठीक इसी प्रकार से आरएनआई ने अखबार के साथ ही छपाई के बंडल को अपलोड करने की एडवाइजरी परेशान करने की मानसिकता को द्योतक है। यह भ्रष्टाचार की जनक होने वाली है। प्रस्ताव में कहा गया है कि सरकार के कार्यो का प्रचार सन्तुलन बनाने वाले पत्र-पत्रिका समूह को इस प्रकार परेशान करने से सरकार के प्रचार का सन्तुलन बिगाड़ा जा रहा है। इससे बड़े अखबारों का दबाव सरकार पर बढ़ेगा। बैठक में वेजबोर्ड के गठन करने की मांग के साथ ही मीडिया आयोग बनाने और प्रेस काउंसिल के स्थान पर मीडिया काउंसिल बनाने की मांग को भी दोहराया गया है।
बैठक के सफल आयोजन के साथ ही आयोजकों भवानी जोशी और श्याम मारू की टीम को धन्यवाद दिया गया। बैठक के पहले दिन पहलगाम में आतंकी हमले में मारे गये पर्यटकों सहित उन पत्रकारों को श्रद्धाजंलि दी गई जिनके निधन का उल्लेख किया गया। उनकी याद में दो मिनिट का मौन रखा गया। आचार्य तुलसी की समाधि स्थल पर सभी पत्रकार गये और उन्हें नमन किया। समािध प्रबंधकों ने इस अवसर पर वहां की व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी दी। दूसरे सुप्रसिद्ध करनी माता के दर्शन के लिए सभी पत्रकार गये और मां का अाशीर्वाद लिया। उसी के बाद बंजरग घोरा के सुप्रसिद्ध हनुमान मंदिर में प्रार्थना की गई। देश की पत्रकारिता अपने पुराने वैभव को प्राप्त करे ऐसा आशीष बाबा हनुमान ने मांगा। इसी स्थल पर पदमश्री अली-गनी बंधुओं का गायन हुआ। मंत्रमुग्ध कर देने वाले गायन के बाद दोनों का सम्मान किया गया। इस प्रकार दो दिनी बैठक का समापन हो गया। अगली बैठक के लिए सुझाव आये जिसकी जानकारी बाद में देने का निर्णय लिया गया। बैठक में शामिल सभी साथियों के प्रति अध्यक्ष सुरेश शर्मा और महासचिव त्रियुग नारायण तिवारी ने आभार माना।