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स्वतंत्र प्रेस के लिए मीडिया की अभिव्यक्ति को अलग से परिभाषित करे सरकार : सुरेश शर्मा

असल पत्रकारिता करने देश भर के पत्रकार तैयार हों : त्रियुग नारायण तिवारी


एनयूजे समाचार, नई दिल्ली। नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) की राष्ट्रीय कार्यसमिति की दो दिनी बैठक विजयवाड़ा आन्ध्र प्रदेश में संपन्न हुई। जिसमें एनयूजे आई अध्यक्ष सुरेश शर्मा ने केन्द्र सरकार से आग्रह किया कि प्रेस की स्वतंत्रता कथन को सार्थक बनाने के लिए अभिव्यक्ति की आजादी वाले कानून में मीडिया की अभिव्यक्ति को अलग से परिभाषित करना चाहिए। अभिव्यक्ति का मौलिक अधिकार स्वयं के लिए है जबकि मीडिया दूसरों की अभिव्यक्ति को प्रमुखता देता है। अनुच्छेद 19 (1) (A) में इस प्रकार का संशोधन किया जाने की जरूरत है। यह समस्या इस कारण उत्पन्न हो रही है कि केन्द्र सरकार के कई विभागों के साथ राज्यों ने अपने सचिवालय में पत्रकारों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है। यह स्वतंत्र प्रेस की परिभाषा के खिलाफ है। पंडित नेहरू से लगाकर अटल जी तक प्रेस की स्वतंत्रता के पुरजोर समर्थक रहे हैं। एनयूजे आई महासिचव त्रियुग नारायण तिवारी ने बैठक में कहा कि एक बार फिर से पत्रकारों को असल पत्रकारिता करना चाहिए। आज के लोकतंत्र को इसी प्रकार की पत्रकारिता की जरूरत है।

बैठक में कई प्रस्तावों को स्वीकार किया गया है। बीकानेर की बैठक में प्रस्ताव के माध्यम से संकल्प लिया गया था कि मीडिया को उसकी लोकतांत्रिक ताकत का अहसास कराने के लिए एनयूजे आई जामवंत की भूमिका निभाकर हनुमान रूपि मीडिया को उसकी शक्ति की याद दिलायेगे। उसी क्रम में इस बार भी एक पत्रकार हितैषी प्रस्ताव पारित किया गया। एनयूजे अाई अध्यक्ष ने इस पर अपनी बात रखते हुए कहा कि देश भर में पत्रकारों के सामने बड़ा संकट आया हुआ है। उन्हें समाचार संकलन के लिए सचिवालय में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई हैं। यह लोकतंत्र की मान्य परम्परा के खिलाफ है। कई राज्यों से सूचना मिलती है कि पत्रकार कोई समाचार जिसमें राज्य के हित को प्रभावित करके अपना हित साधा गया है प्रकाशित कर दिया जाता है तब उस पत्रकार के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा का प्रकरण दर्ज कराकर परेशान किया जाता है। जब पत्रकार यह पूछता है कि भ्रष्टाचार करना, जनता के काम को टालने की मानसिकता कब से सरकारी कार्य में बाधा हो जाता है तब पुलिस नाकद दबाव बनाती है। इससे देश के कई राज्यों में समाचार संकलन करना कठिन काम हो रहा है। सरकारों की इस गोपनीयता की लोकतंत्र में क्या जरूरत है समझना कठिन है। इसलिए एक प्रस्ताव पारित किया गया है। जिसमें कहा गया है कि अनुच्छेद 19 (1) (A) में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ मीडिया की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को अलग से परिभाषित किया जाना चाहिए। क्योंकि इस अनुच्छेद में अपनी अभिव्यक्ति की चर्चा है। जबकि मीडिया किसी अन्य के कथन को अभिव्यक्त का मंच उपलब्ध कराता है। इस प्रस्ताव को वरिष्ठ पत्रकार व लेखक उमेश चतुर्वेदी ने प्रस्तुत किया जिसका समर्थन बिहार जाने-माने पत्रकार राकेश प्रवीर ने किया। खुली बहस के बाद इस प्रस्ताव को स्वीकार किया गया? वरिष्ठ पत्रकार और यूपी यूनिट के प्रदेश अध्यक्ष सर्वेश कुमार सिंह के हस्तक्षेप से यह प्रस्ताव पारित हुआ। चंडीगढ़ के कुछ साथियों ने इस प्रस्ताव के विपक्ष में अपनी बात कही जो बाद में प्रस्ताव की भावना से सहमत हो गये।
अध्यक्ष सुरेश शर्मा ने देश भर से आये पत्रकारों का आव्हान किया कि वे जन सरोकार के समाचारों को प्रमुखता दें। जिससे लोकतंत्र काे ताकत मिल सके आैर मीडिया की सार्थकता दिखाई देने लगे। उन्होंने कहा कि संगठन का अभिप्राय आपसी समन्वय, भाईचारा और सुखदुख में सहभागिता होता है। इस उन्होंने जोर दिया। प्रस्ताव पेश करते समय उमेश चतुर्वेदी ने कहा कि आज समय की मांग है कि मीडिया को अलग से परिभाषित किया जाये। समर्थन करते हुए राकेश प्रवीर ने कहा कि समाचार संकलन की परेशानी यहां तक हो गई है कि सूचना के अधिकार कानून का भी कोई प्रभाव नहीं हो रहा है।

एनयूजे आई महासचिव त्रियुग नारायण तिवारी ने बैठक में कहा कि आज पत्रकारिता को एक बार फिर से मिशन बनाने की जरूरत है। आज का मिशन असल पत्रकारिता होना चाहिए। जनती की समस्याओं को सरकार व प्रशासन तक ले जाना और उसका निराकरण करवाने का प्रयास भी करना चाहिए? उन्होंने कहा कि यह न जाने क्यों कहा जाने लग गया कि मीडिया का काम विषय की ओर ध्यान आकर्षित करना है। आज केवल ध्यानाकर्षित करने से काम नहीं चलता क्योंकि नौकरशाही पर किसी अन्य का नियंत्रण नहीं रहा है। श्री तिवारी ने कहा कि मीडिया में काम करने वालों की समस्याओं के समाधान के प्रति राज्यवार चिंता की जाना चाहिए।

एनयूजे आई के पूर्व अध्यक्ष व वरिष्ठ नेता अशोक मलिक ने संगठन को ताकतवर बनाने और पत्रकारों के हित में अधिक कार्य करने की सलाह दी। वरिष्ठ पत्रकार राजीव शुक्ला ने कहा कि हर किसी को अपना स्थान बनाने का मौका मिलता है। आप उसकी प्रतीक्षा करिये और खुद को सिद्ध करिये स्थान खुद मिल जायेगा। वरिष्ठ पत्रकार रवीन्द्र वाजपेयी ने कहा कि समाचारों का आपसी संव्यवहार एक दूसरे राज्याें की गतिविधियों काे समझने का मौका देता है। इससे प्रदेश की या पत्रकाराें की समस्या को राष्ट्रीय मंच मिलता है। आयोजन को विभिन्न अवसरों पर सर्वश्री सर्वेश कुमार सिंह, बलदेव शर्मा, हरेश वशिष्ठ, आभा निगम, कविता राज, पुरूषोत्तम, नागेश्वर राव, कैलाश नायक, भवानी जोशी, डा. बलबीर ठाकुर, अभिजीत चौधरी, बिक्रम करमाकर सहित अन्य साथियों ने संबोधित किया।

बैठक में कई प्रस्तावों पर चर्चा हुई। नया वेतनमान तय करने के वेज बोर्ड का गठन करने, मीडिया आयोग बनाकर पत्रकारों के व्यापक स्वरूप के हिसाब मीडिया काउंसिल बनाने, रेल सुविधाओं को फिर से बाहल करने, टाेल नाकों पर पत्रकारों को टोल मुक्त करने, समाचार जगत को जीएसटी के दायरे से पूर्व की भांति बाहर करने के साथ ही आरएनआई और डीएव्हीपी के आये दिन आने वाले परिपत्रों के बंधने से मुक्ति दिलाने की भी मांग की गई। कविता राज ने महिला पत्रकारों की समस्याओं के संबंधन में कुछ सुझाव दिये। महिला सेल की प्रमुख आभा निगम ने प्रकोष्ठ की बैठक कर महिला पत्रकारों की समस्याओं पर व्यापक चर्चा की। देशव्यापी अभियान चला कर महिलाओं को सरल और सम्मानजनक पत्रकारिता करने की दिशा में सहायता करने की घोषणा की।

बैठक का आयोजन आन्ध्र प्रदेश के बड़े पत्रकार संगठन और एनयूजे आई की संबद्ध इकाई पेन जाप के द्वारा किया गया था। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पेन जाप के अध्यक्ष बड़े प्रभाकर और उनकी समस्त टीम के प्रति सभी प्रदेशों के सदस्यों ने आभार माना और उनका अभिवादन किया गया। इस अवसर पर प्रदेश के विभिन्न पत्रकारों का सम्मान किया गया। कुछ विशिष्ठ लोगों का भी मंच पर स्वागत किया गया। दो दिनी इस बैठक का परिणामदायक समापन हुआ। अन्त में सभी सहभागियों का आभार महासचिव त्रियुगनारायण तिवारी ने माना। अध्यक्ष सुरेश शर्मा ने इसके बाद बैठक समाप्त करने की घोषणा की। अगली बैठक की बाद में सूचना दी जायेगी। यह कहा गया कि साथियों की सुविधा के लिए अब बैठक के स्थान की सूचना आैर पहले दी जाना चाहिए क्योंकि आरक्षण नियमों में बदलाव हो गया है और दो माह पहले अब टिकिट बुक होने लगे हैं।

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